"बंधन जन्मों का" भाग- 17
पिछला भाग:--
अब देखते हैं क्या होता है!!
कल बाकी बातें होंगी... बोल तो गयी है शीला...
कुछ मांग वांग न रख दें....देखते हैं कल क्या
बात होती है.....
अब आगे:--
आज तो सुबह जल्दी उठकर विमला ने सब
काम निपटा लिए.... चाय नाश्ता, खाना पीना,
साफ़ सफाई सभी कुछ.....
बच्चू मैं स्कूल जा रही हूँ.... ध्यान रखना....
स्कूल में तो ऐसी कुछ बात करी नहीं शीला ने,
बोली शाम को साथ में ही घर चलूंगी....
अपन घर चलकर इत्मिनान से.... बैठकर बातें करेंगे....
शीला-स्कूल से विमला के साथ ही घर आ जाती है,
बिटिया रानी चाय बनाकर बिस्किट भी ले आती है,
दोनों सखियां चाय पीते-पीते बात शुरु करतीं हैं...
देखो विमला मेरा सोचना है... फ़ालतू खर्च नहीं करना चाहिए.... सो अपन शादी तो बढ़िया करेंगे,
पर बेकार की शो बाजी में पैसा खर्च करना मुझे पसंद नहीं है.....
हाँ ये तो सही कहा तुमने मैं भी यही सोच रही थी,
विमला शादी रिसेप्शन में तो हमारी तरफ़ से ही खर्चा रहेगा... माँ जी ने पहले ही कह दिया है...
माँ जी की बात तो मैं नहीं टाल सकती....
हाँ बिटिया को जो देना चाहो वो तुम्हारी मर्जी....
यार मुझे बहुत टेंशन हो रहा था...कैसे क्या होगा!!
कुछ समझ नहीं आ रहा था....अब मेरी दुविधा खत्म हो गयी.....
बस दीपावली हो जाए फिर देव उठनी ग्यारस के बाद का मुहूर्त निकलवा लेंगे ठीक है न....
हाँ अब ज्यादा समय भी नहीं है... तैयारियां भी
तो करनी होंगी.... सारी व्यवस्थाएं मुझे ही देखनी होंगी!! आर्यन तो दीपावली में आएगा दो तीन के लिए फिर से आना पड़ेगा उसे छुट्टी भी ज्यादा दिन की ही लेना पड़ेगा.....चलो अब मैं जाती हूँ कल
मिलते हैं स्कूल में.......
दूसरे दिन स्कूल में शीला आई नहीं, पता नहीं क्यों नहीं आई... विमला पूरे दिन यही सोचती रही...
न फोन लग रहा है!! न कोई खबर भिजवाई...
पता नहीं क्या बात है....? दो दिन हो गये तीन
दिन हो गये समझ नहीं आ रहा... कुछ खबर तो
भिजवाना चाहिए...आज मैं घर ही चली जाऊंगी
जाकर तो देखूं क्या बात है......
क्रमशः--
कहानीकार-रजनी कटारे
जबलपुर ( म.प्र.)
Gunjan Kamal
24-Jan-2022 06:46 PM
Very nice 👌
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